भगवान: चमत्कार से पहले सहमति ली या नहीं??

बहुत दिन हो गए थे, लोगों की नाराजगी लिए हुए। सोचा आज कुछ लिख लेता हूँ, लोग अपने आप Offend हो जायेंगे। 

तो भाई, आज इस बात पर चर्चा हो रही है कि भगवान कैसे एक बार कैंसर के अंतिम पड़ाव पर पहुंचे मरीज की जान नहीं बचा पाये थे।

बात हो रही है हमारे नत्थूलाल जी की। नहीं अमिताभ बच्चन की शराबी पिक्चर वाले मूँछों वाले नहीं, यहीं गली के नुक्कड़ पर किराने की दूकान चलाने वाले (इनकी तो मूंछें ही नहीं है)।

तो साब इन्होंने जिंदगी भर पेल कर गुठखा खाया, तम्बाकू वाला। इतना खाया कि इन्हें छोड़िये, इनके बाथरूम के बेसिन जिसमें यह गुठखा थूकते थे, उसको भी कैंसर हो गया।

थोड़े समय में इन्हें दर्द के साथ वजन कम होना, और मुँह पूरा ना खुलने जैसी समस्याएँ होने लग गयी।

अब पहले तो इन्होंने ज्यादा तनाव नहीं लिया, और अपने घर के पास वाले 10वीं पास केमिस्ट (किराये के लाइसेंस वाले) से ताक़त के कैप्सूल लेकर खा लिए। जब आराम नहीं आया, तो एक नीम हाकिम के पास चले गए, जहाँ से उन्हें रंगबिरंगे पाउडर की 8-10 पुड़िया मिल गयी। महीना भर खाने के बाद जब लगा की स्तिथि जस की तस है, तो बगल के एक एलोपैथिक चिकित्सक के पास गए (जो साला जाने किस बात के 300 रुपये लेता है, चोर कहीं का)

तो डाक साब ने चेकअप करके कुछ जाँचे लिख दी। अब जाँचे महँगी थी (क्योंकि डॉक्टर को कमीशन खाना था), तो नत्थूलाल जी खुद को कोसते और डॉक्टर को गाली देते हुए घर वापिस आ गए। पड़ोस के गुप्ता जी के साथ रात में देसी दारू के 2 पेग मारे और उनकी सलाह पर पास के गाँव में छूकर कैंसर दूर कर देने वाले बाबा के पास चले गए। बाबा ने थोडा सा धुँआ दिया, और झाड़ू फेरकर अच्छी खासी दक्षिणा ले ली। 

अब थोड़े दिन बाद नत्थूलाल जी को खून की उल्टियाँ शुरू हो गयी, भूख प्यास लगनी बंद हो गयी, मुँह खुलना और थोडा कम हो गया। तो फिर से बीवी के कहने पर डॉक्टर साब के पास पहुंचे। डॉक्टर ने पहले खूब डाँटा और फिर जांचें लिखकर तुरंत कराने को कहा। जब रिपोर्ट आई तो भाई पता लगा, कि कैंसर अच्छे से शरीर में फ़ैल चूका है, ऑपरेशन तो नहीं हो सकता, कुछ समय तक कीमोथेरेपी और सिकाई से बीमारी को फैलने से रोका जा सकता है, पर जान बचने का अवसर हाथ से जा चूका है। पहले तो खूब रोये नत्थूलाल जी, फिर उन्होंने अपने पहचान के दूर के रिश्तेदार से बात करी, जो जाने कोनसे किस्म का चिकित्सक था (चिकित्सक नहीं था, इस बात की गारंटी में आपको देता हूँ)। उसने एलोपैथी को  बेकार बताते हुए कुछ किस्म की थैरेपी की मशीनों से कैंसर ठीक करने का दावा किया, वह भी शत प्रतिशत तौर पर। अब आगे क्या हुआ, आप समझ सकते है,नत्थूलाल जी मौत के मुहाने पर थोड़ा सा जल्दी पहुँच गए। 

अब जब मौत आती है, तो आदमी सब भूल कर एक ही जगह जाता है, हाँ भाई मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, गिरिजाघर, जैसी जिसकी आस्था, चमत्कार की आशा में।
यहाँ से कहानी शुरू होती है, जो की बहुत ही छोटी है (ऊपर इसलिए इतना सब लिखा क्योंकि भड़ास निकालनी थी

तो नत्थूलाल जी पहुंचे मंदिर और भाई, इस बार सही में भगवान ने उनकी प्रार्थना सुन ली, और कहा- “वत्स, परेशान ना हो, में आ गया हूँ, अब देख मेरा चमत्कार”, और इतना कह कर हाथ उठा ही रहे थे की, हमारा TRP का भूखा मीडिया आ गया। 
नत्थूलाल को तो छोड़िये, भगवान भी भौचक्के रह गए, बोले- “कौन हो तुम लोग, जानते नहीं चमत्कार करने जा रहा हूँ, भागो वरना श्राप दे दूँगा। 

मीडिया की मेकअप से ओत-प्रोत, gucci का बैग लिए रिपोर्टर बोली- “कौन हो आप?”

भगवान- “ए लड़की, तमीज से बात कर, हम भगवान है।”

रिपोर्टर- “वह अब तो ठीक है, आप यहां इस गरीब बीमार आदमी के साथ क्या कर रहे हो?”

भगवान- “इस परेशान इंसान को ठीक करने के लिए में चमत्कार कर रहा हूँ।”

रिपोर्टर -“आप यह जो चमत्कार कर रहे हो, इसका कोई medical indication है, क्या आपने मरीज से सहमति ली है, और क्या यह जेनेरिक है, जैसे की हमारी सरकार ने नए दिशा निर्देश दिए है???”

भगवान एक पल को चुप हो गए( प्रश्नों की वजह से थे, या उस नादान की मूर्खता पर, यह तय करना में आप की समझ पर छोड़ता हूँ)।

भगवान- ” क्या मजाक है, मुझे चमत्कार को करने के लिए इस सब की क्या जरुरत??..

रिपोर्टर- ” करना तो पड़ेगा, क्या पता, आपके गलत चमत्कार से यह इंसान मर जाए, इसको कुछ नुकसान हो जाए, और तो और शायद आपने इस चमत्कार को करने के लिए किसी ब्रांडेड बाबा या औझा से स्पॉन्सरशिप ली हो, और सिर्फ महँगे वाले चमत्कार करते हो!

भगवान का दिमाग अब तक ख़राब हो चूका था, उन्होंने सोचा नत्थू को बाद में ठीक करूँगा, पहले इस मीडिया वाली को ही श्राप देता हूँ।
इतने में एकदम से जोर के कराहने की आवाज़ आयी, देखा तो नत्थूलाल जी के प्राण-पखेरू उड़ चुके थे, और उनका शरीर निर्जीव जमीन पर पड़ा था।

रिपोर्टर ने सोचा, अच्छा मौका है, लाइव रिपोर्टिंग है, इससे TRP बढ़ने में खासी मदद मिलेगी।

तो चैनल पर TICKER चालू हो गया, खून के प्यासे: भगवान या शैतान??

रिपोर्टर- ” आज हमारे साथ देखिये, कैसे एक मरते हुए आदमी को चमत्कार का झाँसा देकर भगवान ने बेवकूफ बनाया, और जिससे उस आदमी को समय पर इलाज़ नहीं मिला, और उसकी जान चली गयी। यह खबर सबसे पहले दिखाई है हमारे चैनल ने, जो की है सबसे तेज़।”

उधर भगवान जो कि इस सब से अनभिज्ञ थे, नत्थूलाल जी को नहीं बचाने का मलाल लिए बैकुंठ को प्रस्थान कर गए।
इति श्री।।।

धन्यवाद।।

2 Comments

Leave a comment